सुभाषितरत्नानि ( अनमोल वचन )
सुभाषितरत्नानि ( अनमोल वचन) भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती । तस्या हि मधुरं काव्यं तस्मादपि सुभाषितम्।। # भाषाओं में मुख्य ,मधुर, दिव्य संस्कृत भारती (संस्कृत भाषा ) है । उसमे भी मधुर उसका काव्य ( कविताएं ) हैं । उससे भी मधुर उसके सुभाषित ( सुन्दर बोले गए वाचन ) हैं । विद्या विवादाय धनम् मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय । खलस्य साधो: विपरीतमेतज्ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ।। # दुष्टों की विद्या विवाद के लिए ,धन नशे के लिए और शक्ति दूसरों को पीड़ित करने के लिए होती है । सहसा विदधीत न क्रियामविवेक: परमापदां पदम् । वृणुते हि विमृष्यकारिणं गुणलुब्धा: स्वमेव सम्पद:।। # अचानक जानकर कार्य नहीं करना चाहिए , वह अत्यंत आपदा का स्थान होता है। सम्पत्ति स्वयं ही ऐसे गुणशाली व्यक्तियों के गुणों को सुनकर उनका वरण करती है ।अर्थात स्वतः ही उनके पास चली जाती है । निन्दन्तु नीतिनिपुण: यदि वा स्तुवन्तु लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्। अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा न्याय्...