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विशाखदत्त/vishakhdatt :परिचय और कृतित्व

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        विशाखदत्त /vishakhdatt             परिचय और कृतित्व                             चाणक्य उक्ति (मुद्राराक्षस –1/26 )            एका केवमर्थसाधनविधौ सेनाशतेभ्योअधिका ।           नन्दोन्मूलनदृष्टवीर्यमहिमा बुद्धिस्तु मा  गान्मम। ।           समय – 400 ईसवी के लगभग  विशाखदत्त चन्द्रगुप्त द्वितीय के समकालीन थे ।              पिता – महाराज पृथु          पितामह – सामंत बटेश्वरदत्त            कृतित्व                 रचना – मुद्राराक्षस          रुपक भेद – नाटक           अंक  –7 अंक                     नायक – चाणक्य       ...

महाकवि शूद्रक का परिचय :Introduction of great poet Shudrak

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  महाकवि शूद्रक का परिचय  Introduction of   Great Poet                            समय    – प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व  यह कालिदास से पूर्ववर्ती व भास से परवर्ती हैं । शूद्रक राजा विक्रमादित्य से 27 वर्ष पूर्व हुए ।  कालिदास विक्रमादित्य के समकालीन थे ।          वास्तविक नाम –इनका वास्तविक नाम शिमुक था ।                   कृतित्व  इनकी एकमात्र कृति मृच्छकटिकम् है ।               विधा  – प्रकरण   यह एक प्रकरण ग्रंथ है ।इसमें 10 अंक हैं ।।यह भास के चारुदत्त नाटक पर आधारित है । नाटक के दसों अंको‌ के नाम    अंकों के नाम   श्लोकों की संख्या   1.अलंकार न्यास       58  2.द्यूतकर संवाहक       20  3.संधि विच्छेद       30  4. मदनिका शर्विलक        33  ...

अश्वघोष /Ashvghosh :अश्वघोष कवि का परिचय एवं रचनाएं

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  अश्वघोष /Ashvghosh अश्वघोष कवि का परिचय               एवं रचनाएं                     समय – प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व  यह कनिष्क के समकालीन थे ।यह कालिदास से परवर्ती हैं।        माता  – सुवर्णाक्षी यह एक बौद्ध भिक्षु था । अश्वघोष के मुख्य रूप से तीन काव्यग्रंथ हैं – १ .बुद्धचरितम् – यह एक महाकाव्य है । इसमें  कुल 28 सर्ग हैं ।संस्कृत  भाषा में प्रारम्भ से लेकर 14 सर्ग तक ही प्राप्त होते   हैं । इसमें बुद्ध के जीवन चरित तथा उनके सिद्धांतों का वर्णन है । 2. सौन्दरानन्द – यह इनका दूसरा महाकाव्य है । इसमें कुल  18 सर्ग हैं ।इसमें नायक नंद और नायिका सुंदरी  की कथा वर्णित है । 3. शारिपुत्र प्रकरण –पूरा नाम शारद्वती प्रकरण । यह प्रकरण नाटक हैं ।इसमें  9 अंक हैं । शैली – कालिदास की ही भांति अश्वघोष भी  वैदर्भी रीति के कवि हैं । जयतु संस्कृतम्–  पठतु संस्कृतम्

महान नाटककार भास

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    महान  नाटककार  भास    भास का समय 450 ईसा पूर्व के लगभग मानना उचित है । यह कालिदास से पूर्ववर्ती हैं ।कालिदास ने मालविकाग्नमित्र की प्रस्तावना में भास का नाम बहुत आदरपूर्वक लिया है ।                      कृतित्व  भास के नाम से संप्रति 13 नाटक उपलब्ध होते हैं । सन् 1909 ई ० में महोमहोपाध्याय श्री टी० गणपति शास्त्री ने ट्रावनकोर राज्य से इन्हें प्राप्त किया था ।         भास के 13 नाटक  भास के नाटकों को कथा स्त्रोत की दृष्टि से चार भागों में बांटा जा सकता है – ( क) उदयन कथा मूलक – 1. प्रतिज्ञा यौगन्धरायण        2. स्वप्नवासवदत्ता (ख ) महाभारत मूलक –3.ऊरुभंग    4. दूतवाक्य   5. पंचरात्र                                 6. बालचरित   7. दूतघटोत्कच        8. कर्णभार   9. मध्यम व्यायोग  (ग) रामायण मूलक – 10.प्रति...

The great sanskrit poet : KALIDAS

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The great poet kalidas Kalidas one of the greatest poet of Sanskrit literature. He wrote plays, epics and lyrical poetry. He is compared to the great poet, playwriter shakespear. There is a legend that Kalidas was a very foolish. All this is a lie, Kalidas became a great poet by his intelligence. Their time is first century BC. His famous title is Deepshikha. Kalidas has seven works . Drama book .Abhigyanasakuntalam It has seven numbers. The fourth issue of this drama is the most famous. There is no drama like this drama in the world. Shakuntala's father Kanva's departure from the house is the most compassionate disconnection scene in the fourth issue. Shakuntala is going to her husband King Dushyant's house. Animals, birds also block the path of Shakuntala. The plants wither away . 2. Vikramorvashiyam  It is divided into five digits. It describes the pranay tale of Apsara named Raja Pururava and Urvashi 3. Malavikagni...