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संस्कृत कोड 25 यूजीसी नेट पाठयक्रम /ugc net syllabus subject sanskrit code 25

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                    संस्कृत कोड 25 यूजीसी नेट पाठयक्रम   ्    Ugc Net  sanskrit subject sanskrit code 25 मित्रों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में प्रथम व द्वितीय प्रशनपत्र में 10 10 इकाईयां हैं ।यहां हम  द्वितीय प्रश्न पत्र संस्कृत विषय कोड 25 का पाठ्यक्रम चित्र के रूप में प्राप्त करेंगे ।           यह प्रयास अगर आपको अच्छा लगे व आपको यह लेख कैसा लगा यह comment box में अवश्य बताएं । जयतु संस्कृतम् – पठतु संस्कृतम्

विशाखदत्त/vishakhdatt :परिचय और कृतित्व

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        विशाखदत्त /vishakhdatt             परिचय और कृतित्व                             चाणक्य उक्ति (मुद्राराक्षस –1/26 )            एका केवमर्थसाधनविधौ सेनाशतेभ्योअधिका ।           नन्दोन्मूलनदृष्टवीर्यमहिमा बुद्धिस्तु मा  गान्मम। ।           समय – 400 ईसवी के लगभग  विशाखदत्त चन्द्रगुप्त द्वितीय के समकालीन थे ।              पिता – महाराज पृथु          पितामह – सामंत बटेश्वरदत्त            कृतित्व                 रचना – मुद्राराक्षस          रुपक भेद – नाटक           अंक  –7 अंक                     नायक – चाणक्य       ...

महाकवि शूद्रक का परिचय :Introduction of great poet Shudrak

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  महाकवि शूद्रक का परिचय  Introduction of   Great Poet                            समय    – प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व  यह कालिदास से पूर्ववर्ती व भास से परवर्ती हैं । शूद्रक राजा विक्रमादित्य से 27 वर्ष पूर्व हुए ।  कालिदास विक्रमादित्य के समकालीन थे ।          वास्तविक नाम –इनका वास्तविक नाम शिमुक था ।                   कृतित्व  इनकी एकमात्र कृति मृच्छकटिकम् है ।               विधा  – प्रकरण   यह एक प्रकरण ग्रंथ है ।इसमें 10 अंक हैं ।।यह भास के चारुदत्त नाटक पर आधारित है । नाटक के दसों अंको‌ के नाम    अंकों के नाम   श्लोकों की संख्या   1.अलंकार न्यास       58  2.द्यूतकर संवाहक       20  3.संधि विच्छेद       30  4. मदनिका शर्विलक        33  ...

अश्वघोष /Ashvghosh :अश्वघोष कवि का परिचय एवं रचनाएं

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  अश्वघोष /Ashvghosh अश्वघोष कवि का परिचय               एवं रचनाएं                     समय – प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व  यह कनिष्क के समकालीन थे ।यह कालिदास से परवर्ती हैं।        माता  – सुवर्णाक्षी यह एक बौद्ध भिक्षु था । अश्वघोष के मुख्य रूप से तीन काव्यग्रंथ हैं – १ .बुद्धचरितम् – यह एक महाकाव्य है । इसमें  कुल 28 सर्ग हैं ।संस्कृत  भाषा में प्रारम्भ से लेकर 14 सर्ग तक ही प्राप्त होते   हैं । इसमें बुद्ध के जीवन चरित तथा उनके सिद्धांतों का वर्णन है । 2. सौन्दरानन्द – यह इनका दूसरा महाकाव्य है । इसमें कुल  18 सर्ग हैं ।इसमें नायक नंद और नायिका सुंदरी  की कथा वर्णित है । 3. शारिपुत्र प्रकरण –पूरा नाम शारद्वती प्रकरण । यह प्रकरण नाटक हैं ।इसमें  9 अंक हैं । शैली – कालिदास की ही भांति अश्वघोष भी  वैदर्भी रीति के कवि हैं । जयतु संस्कृतम्–  पठतु संस्कृतम्