महान नाटककार भास

   महान  नाटककार  भास  

भास का समय 450 ईसा पूर्व के लगभग मानना उचित है । यह कालिदास से पूर्ववर्ती हैं ।कालिदास ने मालविकाग्नमित्र की प्रस्तावना में भास का नाम बहुत आदरपूर्वक लिया है ।

    

                कृतित्व 


भास के नाम से संप्रति 13 नाटक उपलब्ध होते हैं । सन् 1909 ई ० में महोमहोपाध्याय श्री टी० गणपति शास्त्री ने ट्रावनकोर राज्य से इन्हें प्राप्त किया था ।


       भास के 13 नाटक 


भास के नाटकों को कथा स्त्रोत की दृष्टि से चार भागों में बांटा जा सकता है –
( क) उदयन कथा मूलक – 1. प्रतिज्ञा यौगन्धरायण        2. स्वप्नवासवदत्ता


(ख ) महाभारत मूलक –3.ऊरुभंग    4. दूतवाक्य   5. पंचरात्र
                                6. बालचरित   7. दूतघटोत्कच  
     8. कर्णभार   9. मध्यम व्यायोग 


(ग) रामायण मूलक – 10.प्रतिमानाटक  11.अभिषेकनाटक
                                
(घ)कल्पना मूलक –12.अविमारक         13. चारूदत्त




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